था एक शक्स नाम ना जाने क्या था उसका… ऐसा सोच कर बेचैनी तो छा जाती होगी…
कभी कोई ख्याल मेरी मोहब्बत का दम तो भरता होगा…
जब हँसती होगी उसके साथ तो मन में इस बात का मलाल भी होगा कि वहां कोई बेमौत मरता होगा….
फिर एक नाम याद करने पर जोर देती होगी जिसे तुम नींद में भी अक़्सर गुनगुनाया करती थी…
उसमे तुम्हारी रूह बसती है, तुम उसके बिना एक पल भी जी ना पाओगी, ऐसी कहानियां जिसे सुनाया करती थी….
याद आता होगा कि कैसे तुम अपने मां बाबा के आगे मजबूर हो गयी थी…
वो हाँथ छोड़ने को तैयार ना था। मगर तुम अपनों की खुशी के लिए उससे दूर हो गयी थी…
याद होगा उसने कहा था की वो तुम्हारे बिना जी ना पायेगा…
ये जुदाई का जख्म इतना गहरा है उसके लिए जिसे वो वक्त सुई से भी सी ना पायेगा…
उसने कहा था कि उसके अपनो की उम्मीदें, उसकी समझदारी उसे खुल कर रोने ना देती…
तुमसे बिछड़ कर बेशक अंदर से मर जायेगा वो, मगर अपनों की जिम्मेदारियां उसके जिस्म से उसकी रूह को खोने ना देंगी…
उसने कहा था तुम्हारे बाद वो भी अपनी ही मौत पर खुल कर रो भी ना पायेगा……
वो 28 साल का बड़ा सा लड़का है । शादी की उमर है जिसकी किसी को कैसे समझायेगा की वो अब तुम्हारे बिना किसी और का हो नहीं पायेगा….
कभी तो खुद को कोसती होगी…
जो किया वो गलत था कभी तो इतना सोचती होगी…
हमेशा ना सही कभी कभी तो उसे चुपके से देखने का दिल तो करता होगा…
उसे कुछ हो ना गया हो ये सोच दिल डरता होगा…
गर फिक्र हो तो सुनो वो मरेगा नही, अपनो के ख़ातिर वो जीता रहेगा…
भर जायेंगे जख्म तो फिर से कुरेदेगा उन्हें, और जब बहेगा कहूँ तो उन्हें सीता रहेगा….
Best Romantic Shayri in hindi
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Story – 2
रात भर शराब पी कर उसकी यादों को भुला रहा था …
अब ना आयेगी लौट कर ये बात दिल को समझा रहा था …
देखते देखते में नशे गुम हो गया …
पता ही ना चला उसके ख्यालों में खो कर कब सो गया …
सपने में देखा तो वो मेरे पास खड़ी थी …
उसकी आंखों से बह रही अश्कों की लड़ी थी …
कहने लगी मैं तुम्हें छोड कर पछता रही हूँ।।
मगर फिकर न करो मैं तुम्हें अपने पास बुला रही हूँ…
आंखें खोलो और देखो कितने लोग आये हैं …
सबने तुम्हारे लिए आँखों मैं आंसु सजाये है …
आज इतिहास बदल रहा है …
समाज लड़की की जगह लड़के को विदा कर रहा है …
देखा तो सच में मेरी लाश अर्थी पर पड़ी थी …
मेरी माँ उसे देखो पागलों की तरह रो रही थी …
बाबा तो मानो बेजान से हो गये थे …
आपनी लाश को देख सारे अरमान न जाने कहाँ खो गये थे …।
सब लोगो ने हाथो से नहलाया मुझे …
सफ़ेद चमचमाता कफन पहनाया मुझे…
फिर मेरी बारात लेके रोते हुए शमशान की ओर चल दिए …
मेरे अरमानो के साथ मेरा जिस्म को भी जला दिए …
जब जला मेरा जिस्म तो आंख फट से खुल गई…।
उठ के देखा तो सपना था ये सोच दिल की कली खिल गई …
एक सपने ने सिखा दिया कि जिंदगी कितनी कीमती है …
इसमें माँ-बाप , दोस्त-भाई का भी हक है बस ये माशुका के ही इर्द गिर्द नहीं सिमटी है …
उसी दिन से बोतल को तौबा कर के , मैं जीना सीख गया,
दर्द तो अब भी होता है सीने में , मगर मैं दर्द पीना सीख गया…..
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Nice
Precious thing
Wow awesome story..😍😍
Nice